बुधवार, 17 मार्च 2010

माता-पिता की ऊंगली सृष्टिनियंता की होती है (अविनाश वाचस्‍पति)

संस्‍कारों के वाहक
सबके भले के चाहक
मिलती है सबको इनकी
सुमधुर वाणी से राहत।

आहत होता है कोई
जब पाता है आहट
तो दुख विषाद दूर
जाता है पलटहट।

पाता है स्‍वयं को
माता की गोद में
पिता की छाया में
ऊंगली थामे उनकी
मानो सृष्टिनियंता ने
ऊंगली अपनी थमाई है।

पुत्री हो या हो पुत्र
सबमें कृष्‍ण का चित्र
मन में बसते हैं
निर्मल भाव संतान के लिए।

दिल में दोनों के मान लो
तनिक भी भेद होता नहीं
भाव समान होते हैं
अभाव उनका होता नहीं।

माता-पिता हों साथ
तो कोई रोता नहीं
खुश रहता है सारा जग
खुशियों का बहता सोता वहीं।

प्रसन्‍नता का भंडार
गुणों का आगार
लेता है संतान में
सब कुछ आकार।

माता-पिता की वास्‍तविकता को
कर लें हम सब मन से स्‍वीकार
बुराईयों का स्‍वयं ही होता जाएगा
प्रत्‍येक मन से प्रतिकार
कर लिया हो जब मन में
माता-पिता के पावन प्रेम को अंगीकार।

10 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

संस्‍कारों के वाहक
सबके भले के चाहक
मिलती है सबको इनकी
सुमधुर वाणी से राहत।
आप की कविता के लिये तो तारीफ़ के शव्द भी छोटे पडते है, बहुत सुंदर कविता, मां बाप पर. आप का धन्यवाद

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } ने कहा…

माता पिता के चरणो मे ही स्वर्ग है यह सत्य है .

Udan Tashtari ने कहा…

माता पिता तो ईश्वर से भी पहले आते है...


माता-पिता की वास्‍तविकता को
कर लें हम सब मन से स्‍वीकार

rg pareek ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
shama ने कहा…

Bahut sundar prernaa daayee rachana!

रज़िया "राज़" ने कहा…

पाता है स्‍वयं को
माता की गोद में
पिता की छाया में
ऊंगली थामे उनकी
मानो सृष्टिनियंता ने
ऊंगली अपनी थमाई है।
आपके लेखन को सादर प्रणाम।

दिलीप कवठेकर ने कहा…

बहुत सुंदर , बहुत ही भावुक

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव ...बहुत अच्छी रचना, पड़ाने के लिए धन्यवाद !

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

aapka dhanyavaad judne ke liye.

jayanti jain ने कहा…

great parents for great children