यह कविता कक्षा ५ के छात्र द्वारा लिखी गई है।
कविता
माँ
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माँ है कितनी भोली-भाली,
सबसे सुन्दर और निराली।
पहली गुरु माँ ही कहलाती,
नित लोरी में ज्ञान लुटाती।
प्रेम, स्नेह की बनकर डाली,
माँ करती हरदम रखवाली।
उच्च स्थान सदा वह पाता,
जो माता को शीश झुकाता।
माँ की सेवा जो नित करता,
उसे जगत् का सब सुख मिलता।
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शिवेंद्र पाठक
कक्षा - ५
महर्षि विद्या मन्दिर
उरई (जालौन) उ0प्र0