शनिवार, 24 अप्रैल 2010

माँ को समर्पित कक्षा ५ के छात्र की एक कविता -- "माँ"

यह कविता कक्षा के छात्र द्वारा लिखी गई है



कविता


माँ
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माँ है कितनी भोली-भाली,
सबसे सुन्दर और निराली।

पहली गुरु माँ ही कहलाती,
नित लोरी में ज्ञान लुटाती।

प्रेम, स्नेह की बनकर डाली,
माँ करती हरदम रखवाली।

उच्च स्थान सदा वह पाता,
जो माता को शीश झुकाता।

माँ की सेवा जो नित करता,
उसे जगत् का सब सुख मिलता।

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शिवेंद्र पाठक
कक्षा - ५
महर्षि विद्या मन्दिर
उरई (जालौन) उ0प्र0

6 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

bahut hi sunder rachna
most talent boy

दिलीप ने कहा…

bahut achche dost bahut sundar aur bhavnatmak likha....apni maa ka hamesha dhyan rakhna shubhkamnayein

kshama ने कहा…

Ek bachhene itni sundar bhasha ka prayog kar, laybaddh rachana kar daali! Kamal hai!Wah!

Satish Saxena ने कहा…

जब मैंने सबसे पहली कविता लिखी थी ...निस्संदेह यह कविता उससे कहीं अच्छी है ! शाबाश बच्चे !

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

bahut khoobsorat kavita hai bhai ratneshji

Unknown ने कहा…

क्या बात है! मजा आ गया पढ़कर। एकबारगी तो कोई यकीन ही न करे की इसे छोटे बच्चे ने लिखा है।