आज डैशबोर्ड पर नज़र पड़ते ही, अपने नाम समर्पित यह पोस्ट देख चौंक गया मैं , पता नहीं आपको क्या अच्छा लगा जो इतनी खूबसूरत ग़ज़ल भेंट दी है मुझे ! जहाँ तक मुझे याद आता है, शायद ही कभी आपकी तरफ ध्यान दे पाया मैं ! पता नहीं ऐसे नालायक दोस्त को यह कीमती तोहफा आपने क्यों दिया, हमने तो ख़ुशी ख़ुशी कबूल कर लिया शुक्रिया आपका !
खैर,
" जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है
मां दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है "
क्या बेहतरीन लाइनें लिखी हैं मुनव्वर राना ने ...लगता है दो लाइनों में पूरी किताब की कहानी लिख दी है, एक अम्मा ही तो है जो हर मुसीबत में साथ खड़ी नज़र आती है ! मैं कुछ ऐसे बदकिस्मत इंसानों में से एक हूँ जिसे यह प्यार नसीब ही नहीं हुआ और न मैं दुनिया की यह सबसे खूबसूरत शक्ल देख पाया ! आज भी तडपता हूँ की शायद ख्वाब में ही मेरी माँ मुझे दिख जाए उसके बाद चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए !
वे बड़े बदकिस्मत लोग हैं जो जीते जी अपनी माँ की क़द्र नहीं कर पाते ...दुनिया में खुदा को किसी ने नहीं देखा मगर जिसने हमें जन्म दिया, जिसके शरीर का खून पाकर हम इस संसार में आये उसे हमने क्या दिया ??
माँ के प्रति मुनव्वर राना की यह खूबसूरत लाइने भी , माँ के प्यार के सामने ,एक ज़र्रा भी नहीं है !
शुभकामनायें भाई जी !
10 टिप्पणियां:
भावपूर्ण..माँ के लिए जितना लिखा कहा जाये, कम ही होगा हमेशा!
Bas in do panktiyon ne aakhen nam kar dee...
माँ ! छोटे से शब्द की हकीकत कितनी महान है , इसे तो पूरी तरह बाबा साहब भी नहीं बता सकते ।
सतीश भाई, में आपसे नही मिला ना ही आपसे बात हुई है, फिर भी में आपकी PERSONALITY से बेहद मुतासिर हूँ, आपके जैसा रहम दिल ,दूसरो की मदद के लिए हमेशा हाज़िर, आज के दौर में बहुत कम लोग हैं ,या फिर यूँ कहिए ये दुनिया शायद इसी लिए बची हुई है की आप जैसे लोग इस दुनिया में भी हैं.
ज़्यादा कुछ ना कहूँगा बस प्रेम बनाए रखिएगा, दुआओं में याद रखिएगा
दुख किसी का हो छलक उठती हैं मेरी आँखें
सारी मिट्टी मेरे तालाब में आ जाती है
भावपूर्ण बात लिखी है...सुन्दर पोस्ट
सहसपुरिया साहब ,
आपका अपनापन तो हमेशा ही महसूस करता रहा हूँ , यह इस ब्लाग जगत की देन है ! जहां तक आपकी भावनाओं का प्रश्न है यह आपका प्यार है जो मुझे अच्छा पाते हैं :-) यहाँ मुझे गाली देने वालों की कमी नहीं है भाई ! मैं तो अपने आपको अयोग्य, लापरवाह और आज के समय के लिए सर्वथा अनफिट भी मानता हूँ ! खैर
आपका शुक्रिया !
मां तो सबकी मां भाई। शुक्रिया।
इन दो लाइनों में मां का अथाह प्रेम उमड़ गया है ।
मां छोटा शब्द पर शायद इससे बड़ा शब्द भी कोई नहीं।
0 तिरुपति बालाजी के दर्शन और यात्रा के रोमांचक अनुभव – १० [श्रीकालाहस्ती शिवजी के दर्शन..] (Hilarious Moment.. इंडिब्लॉगर पर मेरी इस पोस्ट को प्रमोट कीजिये, वोट दीजिये
क्या कहूं सतीश जी। मां होती है तो बच्चा जिद करता है। लड़ता है। सब कुछ करता है। नहीं होती तो ढूंढता है। बाकी क्या कहूं।
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