tag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post4160729352922684888..comments2023-09-17T13:49:18.809+05:30Comments on माता-पिता: आपके माता पिता बीमार हैं ? -सतीश सक्सेनाराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttp://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-57964420551376247952010-12-20T19:07:09.930+05:302010-12-20T19:07:09.930+05:30क्या लिखूं? बस इतना कि अपने सास ससुर को लेके हम दो...क्या लिखूं? बस इतना कि अपने सास ससुर को लेके हम दोनों की आत्मा पर कोई बोझ नही.<br />अपनी किसी बात ये क्रिया कलाप से भी मैंने उनका कभी दिल नही दुखाया.आखिरी समय में पूरा परिवार इकठ्ठा था.मेरे ससुर ने इशारे से मुझे बुलाया और.....अपने गले लगा लिया.मैं चीख चीख कर रोने लगी.<br />दस बेटे बेटियों के पिता ने अंतिम समय में अपनी सबसे छोटी बहु को गले लगाया.<br />सबको लाखों की प्रोपर्टी मिली थी.....किन्तु मैंने जो पाया वो तो 'गोस्वामीजी' उनके बेटे हो के भी नही पा सके.<br />बुजुर्गों के आशीर्वाद कभी व्यर्थ नही जाते.<br />मैं ना श्राद्ध करती हूँ ना कोई पुन्य तिथि.<br />जो एक टाइम खाना खिलाते हुए भी....वे हर श्राद्ध पर सौ सौ लोगो को खाना खिलाते है.मैं मुस्करा देती हूँ बस.<br />मेरे बच्चे ये सब देखते हुए बड़े हुए हैं.<br />किसी प्रति फल की आशा में भी ये सब नही किया क्योंकि 'उससे' कुछ नही छुपा है.हमे 'उससे' और खुद से डरना चाहिए.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-30346061228036746492010-12-15T15:30:24.339+05:302010-12-15T15:30:24.339+05:30आप भी कृपया मेरे ब्लाग "smshindi"को फालो...आप भी कृपया मेरे ब्लाग "smshindi"को फालो करें. धन्यवाद...smshindi By Sonuhttps://www.blogger.com/profile/02157490730225902218noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-81702445461155267842010-12-04T15:45:55.389+05:302010-12-04T15:45:55.389+05:30लोग यह भूल जातें हैं यही दिन उनके जीवन में भी आएंग...लोग यह भूल जातें हैं यही दिन उनके जीवन में भी आएंगे....तब उनका क्या होगा...मार्मिक पोस्ट<br /><br />http://veenakesur.blogspot.com/वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-28651524422358046862010-11-27T08:26:19.996+05:302010-11-27T08:26:19.996+05:30Abhut hi satik post.PLz visit my blog.Abhut hi satik post.PLz visit my blog.प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-11676887202761759662010-11-08T19:00:08.035+05:302010-11-08T19:00:08.035+05:30बहुत ही प्रेरणाप्रद आलेख ...
..मैं भी अपने माँ को ...बहुत ही प्रेरणाप्रद आलेख ...<br />..मैं भी अपने माँ को पिछले ६ वर्ष से कैंसर से जूझती देख रही हूँ .... पापा भी कैंसर से सिर्फ २ माह में चल बसे लेकिन मुझे संतोष है ही मेरे भाई-बहन सभी अच्छी देख-रेख करते रहते है. और सबसे बड़ी बात मेरी माँ बहुत ही हिम्मत वाली है.... खुद ही ऐसी हालत में भी अपना पूरा ख्याल रख लेती है....... फिर कभी ब्लॉग पर लिखूंगी..आपका आलेख पढ़ा तो मन में आया लिख दिया...<br />सार्थक लेखन के लिए आभार <br /> . दीपपर्व की हार्दिक शुभकामनाएँकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-76657848569949775022010-11-08T16:34:53.929+05:302010-11-08T16:34:53.929+05:30उस दिन नहीं कर पाई थी ...आज एक संकलित रचना---
जन्म...उस दिन नहीं कर पाई थी ...आज एक संकलित रचना---<br />जन्मदाता माता -पिता के जीते जी, उनसे वात्सल्य भरे दो शब्द बोलकर ,<br />उनके दर्शन कर लो ,<br />इन करुनामूरती के आधे अधर बंद हो जाने पर आखरी समय में,<br />तैयार गंगा जल की दो बूँद मुह में डालकर क्या कर लोगे ?<br /><br />हमेशा देने वाले, कभी कुछ अपेक्षा नही रखने वाले,<br />समय रहते सच्चे मन से, इन जीवित तीर्थों को समझ लो |<br />"खुश रहना बेटा" ऐसे शब्दों से अंतर्मन से आशीर्वाद देने वाले,<br />जब इस दुनिया में नही होंगे,तब अश्रुधारा बहा कर क्या कर लोगे ?<br /><br />पतझड़ में भी बसंत की खुशबू जैसा व्यवहार रखना,<br />तुम भी अपने बच्चों के माँ-बाप हो, यह ध्यान रखना |<br />जैसा बोओगे, वैसा काटोगे, यह प्रकृति का नियम है,<br />माँ-बाप की देह पंचमहाभूत में मिलने के बाद, श्रद्धांजलि दे कर क्या कर लोगे ?<br /><br />श्रवण बनकर बुढे माँ-बाप की लकडी बनो, यह तो अच्छा है,<br />लेकिन उन्हें दुःख पहुचाकर, उनकी आखो के अश्रुरूपी मोती मत बनना |<br />जीते जी सदा सारस के जोड़े की तरह साथ रहने वाले माँ-बाप को मत बाटना,<br />अपने लोगो का भी उपेक्षित व्यवहार, वे कैसे सहेंगे ?<br /><br />नौ माह तक पेट में, गोद में तथा बाद अपने ह्रदय में रखकर, तुम्हे बड़ा करने वाले<br />माँ-बाप को सम्हालने का जब समय आए,तो उन्हें घर का द्वार मत दिखाना,<br />अभी तुमने उनको रखने की बारी बांधी है,लेकिन कल तुम्हारी बारी आने वाली है, ये याद रखना |<br />पैसा खर्च करके हर चीज मिल सकती है,लेकिन माँ-बाप कहीं नही मिलेंगे, यह ध्यान रखना|<br /><br />अडसठ तीर्थ, माँ-बाप के चरणों में ही है यह जान लो,<br />जीवित रहे तब उनके ह्रदय को शान्ति देना,बाद में ऐसा मौका नही मिलेगा, ऐसा समझना|<br />माता-पिता की छत्रछाया,तो किन्ही भाग्यशाली पुत्रो को ही मिलती है, ऐसा जानना |<br />मातरु-देवो भव,पितृ-देवो भव, यह सनातन सत्य है, यह जान लो |<br /><br />मेरी आपसे एक ही आग्रह भरी विनती है, की जब कभीं आप आपस में मिलो,<br />मुस्कराते मुख से, इतना ही कहना, माँ-बाबूजी मजे में है |Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-80646643588488480622010-10-30T23:00:49.000+05:302010-10-30T23:00:49.000+05:30सब कुछ सब लोग कह ही चुके है, मै सिर्फ़ ये कहना चाहू...सब कुछ सब लोग कह ही चुके है, मै सिर्फ़ ये कहना चाहूँगी कि जब हम आपस मे मिले तो एक बार कैसे हैं के साथ एक-दूसरे से ये भी पूछे --माँ-बाबूजी कैसे हैं?Archana Chaojihttps://www.blogger.com/profile/16725177194204665316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-27030529211607749902010-10-30T21:12:44.949+05:302010-10-30T21:12:44.949+05:30@ अली सय्यद साहब !
आपकी टिप्पणी देख कर बहुत अच्छा ...@ अली सय्यद साहब !<br />आपकी टिप्पणी देख कर बहुत अच्छा लगा ! एक सार्थक टिप्पणी का अर्थ मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है ! आपका आभारी हूँ !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-88974121272958584532010-10-30T14:48:12.300+05:302010-10-30T14:48:12.300+05:30सतीश भाई ,
खेद है ज़रा देर हो गयी यहां पहुंचने में ...सतीश भाई ,<br />खेद है ज़रा देर हो गयी यहां पहुंचने में , पर शुरुवात पाबला जी की टिप्पणी से ...वे तीन पीढियां एक साथ रहती हैं तो ज़ाहिर है कि जिम्मेदारियां भी संयुक्त होती होंगी और मुहब्बत / फ़िक्र / परेशानियां भी !<br />ज्यादातर गांव में परिवारों का संयोग इस समस्या के आड़े आ जाया करता है पर शहरों में परिवारों की टूट और व्यक्तिवाद आधारित जीवन यापन आपसी संबंधों में मट्ठा डाल देता है ! आज का पुत्र ये सोचने का कष्ट ही नहीं करता कि कल उसे भी माता पिता होना है ? <br />मसला माता पिता के ख्याल से पहले सामाजिकता के ख्याल का है अगर सामाजिकता जीवित रहेगी तो शेष सब कुछ स्वयमेव जीवित रहेगा ! इसमें माता पिता का ख्याल भी शामिल है !<br /><br />आपने बेहद ज्वलंत मुद्दे को छुआ है ,एक सार्थक पोस्ट लिखी है , एक सामाजिक सरोकार पर हाथ डाला है , मेरे मन में आपके लिए अपार नेह भाव जागा है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-40796603483852017292010-10-30T06:00:40.722+05:302010-10-30T06:00:40.722+05:30एक गंभीर सामाजिक मुद्दा
खुद इस मामले में संतुष्ट ...एक गंभीर सामाजिक मुद्दा<br /><br />खुद इस मामले में संतुष्ट हूँ कि हमारी तीन पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-10385986364546342182010-10-29T19:06:20.473+05:302010-10-29T19:06:20.473+05:30@ ज्ञानदत्त जी ,
बेहद महत्वपूर्ण विषय पर आपकी टिप्...@ ज्ञानदत्त जी ,<br />बेहद महत्वपूर्ण विषय पर आपकी टिप्पणी के लिए आभार !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-69968318919815759602010-10-29T18:49:42.604+05:302010-10-29T18:49:42.604+05:30हमने भले ही तरक्की कर ली हो लेकिन हम दिनों-दिन संव...हमने भले ही तरक्की कर ली हो लेकिन हम दिनों-दिन संवेदनहीन हो गए हैं. संवेदनहीनता की परिणति हमें माता-पिता की खराब हालत में दिखाई दे रही है. आये दिन हम तरह-तरह की खबरें सुनते हैं जो हमारे अपने बुजुर्गों की दुर्गति के किस्सों से पटी पड़ी हैं. आज ज़रुरत है हमें संवेदनशील होने की. आपने जो मुद्दा उठाया है वह आज के समाज का सच है. तब जब लोग़ कामनवेल्थ में भ्रष्टाचार पर और शरद ऋतु पर कवितायें लिखने में मशगूल हैं, ऐसे समय में आपका इस मुद्दे पर लेख आपके भीतर की संवेदनशीलता को उजागर करता है. मुझे पूरा विश्वास है कि माता-पिता की हालत पर एक गंभीर और सशक्त चिंतन, चर्चा और बहस की ज़रुरत है जिसे आप अपने ब्लॉग पर उठाइए. आज समय आ गया है कि हम इवल मूकदर्शक बने रहने से आगे की सोचें. आज समय आ गया है कि हम हमारे बुजुर्गों की समाज में हालत जैसे मुद्दों पर बहस का आयोजन करें. कुछ सामजिक संसथायें इस पर सेमिनार करें. आज यह विषय हमारे सामूहिक विचार की मांग करता है. <br /><br />इस प्रयास का आगाह करके आपने सामाज को अपना अमूल्य योगदान दिया है. (अब यह समाज दुष्ट न सीखे तो क्या करें!) <br />आपका आभार. <br />आपको प्रणाम और शुभकानाएं.Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-35361501670069160432010-10-29T17:37:30.873+05:302010-10-29T17:37:30.873+05:30@ विचार शून्य ji ,
यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिसे...<strong><br />@ विचार शून्य ji ,<br />यह बहुत महत्वपूर्ण विषय है जिसे अब तक उचित सम्मान नहीं मिल पाया है ! आपसे इस विषय पर लिखने की अपेक्षा है !<br />सादर <br /><br />@ खुशदीप भाई <br />आपका प्रस्ताव याद है, शीघ्र मिलकर बैठते हैं ! <br /><br /> @ उस्ताद जी ,<br />वाकई आप पोस्ट बारीकी से पढ़ते हैं ...अच्छा लगा ! आवश्यक संशोधन कर दिया है ! धन्यवाद !<br /><br />@ शिव जी ,<br />आपके सम्मान का आभारी हूँ !</strong>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-36873737460226636472010-10-29T17:27:26.992+05:302010-10-29T17:27:26.992+05:30सतीश भाई , बहुत अच्छी और सच्ची अपील की है आपने सभी...सतीश भाई , बहुत अच्छी और सच्ची अपील की है आपने सभी से । बेशक मात पिता का ख्याल रखना हम सबका फ़र्ज़ है । आखिर सब को इस दौर से गुजरना है ।<br />आजकल हम भी यही कर रहे हैं । पिताजी गंभीर रूप से बीमार होने के कारण आजकल सारा ध्यान उधर ही रहता है ।<br />हालाँकि बस सेवा ही कर सकते हैं ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-44164732229616766932010-10-29T11:22:31.671+05:302010-10-29T11:22:31.671+05:30आपको प्रणाम.आपको प्रणाम.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-92195724885325105342010-10-29T11:08:40.668+05:302010-10-29T11:08:40.668+05:305/10
इतनी संवेदनशील और आवश्यक पोस्ट को इतने हलके ...5/10<br /><br />इतनी संवेदनशील और आवश्यक पोस्ट को इतने हलके अंदाज में ? पोस्ट और बहुत कुछ भी चाहती थी. आपने बहुत ही जल्दबाजी में तैयार की है. महत्वपूर्ण पोस्ट को प्रकाशित करने से पहले अच्छी तैयारी बेहद जरूरी है.<br />कृपया एडिट करके भाव स्पष्ट करें :<br />"कमजोर असहायों वृद्धों से, पैसे कमाने के लिए खुले अस्पताल तक पंहुचना"उस्ताद जीhttps://www.blogger.com/profile/03230688096212551393noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-46447081801754460312010-10-29T10:47:50.615+05:302010-10-29T10:47:50.615+05:30लोग कैसे भूल जाते हैं कि एक दिन उन्होंने भी बूढा ह...लोग कैसे भूल जाते हैं कि एक दिन उन्होंने भी बूढा होना है।<br />कैसे अपने कर्त्तव्य से आँखें मूंद लेते हैं।<br />इस प्रेरक पोस्ट के लिये धन्यवाद<br /><br />प्रणाम स्वीकार करेंअन्तर सोहिलhttps://www.blogger.com/profile/06744973625395179353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-52687208598044255582010-10-29T09:45:03.686+05:302010-10-29T09:45:03.686+05:30@सतीश भाई,
शायद आपको याद होगा कि मैंने आपसे कुछ दि...@सतीश भाई,<br />शायद आपको याद होगा कि मैंने आपसे कुछ दिन पहले कहा था कि छुट्टी वाले दिन हम एक-दो घंटे निकालकर ओल्ड एज होम चला करेंगे...वहां कुछ नहीं करेंगे, बस ऐसे बुज़ुर्गों से बाते करा करेंगे जिनके अपने ही अपने न हुए...बस उन्हें मक्खन की बातें बताएंगे...उनके चेहरे पर हंसी लाने की कोशिश करेंगे...हम छुट्टी के दिन इधर-उधर टाइम व्यर्थ कर देते हैं, अगर ऐसा कर सकें तो कुछ तो सार्थक काम कर सकेंगे...मैं अकेला ही एक-दो बार हो भी आया हूं...लेकिन एक और एक मिलकर दो नहीं ग्यारह हो जाते हैं...ओल्ड एज होम के बुज़ुर्गों को भी अच्छा लगेगा...<br />वैसे आप सब से अनुरोध है कि इस साल दीवाली मनाने से पहले टीवी पर आ रहा एक कैडबरी चाकलेट का एड ज़रूर देखें...इसमें अकेले रह रहे बुज़ुर्ग को एक युवक चॉकलेट का डब्बा देने पहुंचता है...इस युवक ने कभी बचपन में उस बुज़ुर्ग को पटाखे बजा बजा कर और मिठाई का खाली डब्बा देकर बहुत तंग किया होता है...मेरी नज़र में यही अच्छा है कि हम बोलने से ज़्यादा करके दिखाए...उसीमें असली आनंद है...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-42427469392618034862010-10-29T09:39:50.635+05:302010-10-29T09:39:50.635+05:30सतीश जी मैं हमेशा आपको एक भावुक और संवेदनशील इन्...सतीश जी मैं हमेशा आपको एक भावुक और संवेदनशील इन्सान के रूप में पाता हूँ. ये भावुकता और संवेदनशीलता हमेशा आपके विचारों और आपकी लेखनी में झलकती है और इसी का परिणाम आज कि पोस्ट है. <br /><br />आभार सहित एक विचार शून्य .VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-26327833986111904862010-10-29T09:18:28.091+05:302010-10-29T09:18:28.091+05:30सतीश जी आप एक बेहतरीन सोंच के मालिक हैं. माता पित...सतीश जी आप एक बेहतरीन सोंच के मालिक हैं. माता पिता का यह दुःख कभी जाने मैं कभी अनजाने मैं, कभी मजबूरी मैं, कभी दूरी से, औलाद समझ नहीं पता औत अपना फ़र्ज़ निभा नहीं पता. जबकि मातापिता की सेवा पहला धर्म है.S.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-31794001141054729682010-10-29T09:10:12.344+05:302010-10-29T09:10:12.344+05:30सतीश भाई,कई बार चाहकर भी संतान अपने मां-बाप के लिए...सतीश भाई,कई बार चाहकर भी संतान अपने मां-बाप के लिए वह नहीं कर पाती जो करना चाहती है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-90363792194988570592010-10-29T09:07:43.607+05:302010-10-29T09:07:43.607+05:30विचारणीय... प्रेरणादायी...
लोगों को यह नहीं भूलना ...विचारणीय... प्रेरणादायी...<br />लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए अगर आज वो अपने माता-पिता को नज़रअंदाज़ करेंगे तो कल उनके बच्चे भी उनके साथ ऐसा ही बर्ताव कर सकते हैं...फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-6869646936433120812010-10-29T08:45:36.569+05:302010-10-29T08:45:36.569+05:30एक शाश्वत सार्थक मुद्दा उठाया है आपने बहुत आभार !एक शाश्वत सार्थक मुद्दा उठाया है आपने बहुत आभार !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-13437711938287147782010-10-29T08:42:03.680+05:302010-10-29T08:42:03.680+05:30मन को कचोटती, जीवन की संध्या में बेसहारा अभिभावकों...मन को कचोटती, जीवन की संध्या में बेसहारा अभिभावकों को समर्पित यह रचना शायद उन सुपुत्रों की आँखें खोल सकें जिनको कंधे पर उठाते हुए उन्होंने कभी बोझ नहीं महसूस किया जिनको वे बोझ समझकर छोड़ गए हैं!<br />सतीश जी, सलाम आपके जज़्बे को!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5321370671971427156.post-56442657166356844702010-10-29T08:01:33.813+05:302010-10-29T08:01:33.813+05:30हम खुद जिम्मेदार हैं इस दयनीय स्थिति के। माँ बाप क...हम खुद जिम्मेदार हैं इस दयनीय स्थिति के। माँ बाप के रूप में हमारी पीढ़ी ने क्या किया। अपने बच्चों को पैसा कमाने की मशीन बना दिया, इंसान नहीं। टूटते परिवार, पश्चमी सभ्यता का अनुसरण करते हुए मैं ही मैं सर्वोपरी, पारिवारिक मुल्यों का हास और हर रिश्ते को स्वार्थ से जोड़ने का ही नतीजा है। <br />आज हमारे सामने भी वही भविष्य वर्तमान बन कर खड़ा है और बहुत भयावह है।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.com