रविवार, 9 मई 2010

तुझे सब है पता मेरी माँ

तुझे सब है पता मेरी माँ --- दिव्या गुप्ता जैन ===========================


माँ ये बात हमेशा मेरे लिए आश्चर्य का विषय रही है की तुम्हे सब कैसे पता चल जाता है! तुम कैसे मेरा चेहरा पढ़ लेती हो! मेरी घबराहट को पहचान लेती हो!

मैं जब तुम्हारी कोख मैं पल रही थी, तभी तुमने मेरे लिए नन्हे- नन्हे लेस लगे कपडे बना लिए! तुम्हे कैसे पता चला की मैं उनमे इतनी सुन्दर दिखूगी! तुमने मिर्ची खाना बंद कर दिया की मुझे जलन होगी! नापसंद होते हुए भी तुमने हरे पत्ते वाली सब्जी खाना शुरू कर दिया की जिससे मुझे पोषण मिले! मुझे इस दुनिया मैं लाने के लिए कितना असहनीय दर्द सह लिया!

जब तुम्हारी कोख से बाहर आने के बाद मुझे उजाला अच्छा नहीं लगता था, मैं दिन मैं सोती थी और तुमने मेरे लिए अनगिनत रातें जाग कर गुजारी! मुझे सूखी जगह पर सुला कर खुद मेरी गीली जगह पर सो जाती थी!

तुम्हे कैसे मेरा चेहरा देख कर पता चल जाता था की मुझे भूख लगी है, और तुम झट से मुझे अपना दूध पिला देती थी! मुझे चोट न लगे इसलिए मेरे घुटने चलने पर तुम हमेशा मेरे आस-पास रहती थी! मुझे हमेशा काला टीका लगाती कि मुझे किसी की नज़र न लगे! मुझे थोडा सा भी बुखार होता तो रात भर मेरे लिए जागती थी!

मुझे खाना अच्छा नहीं लगता था तो तुम गुडिया से बहला के खिला देती थी! जब मैं रोते-रोते पहली बार स्कूल गयी तो तुम सारा दिन मेरे साथ स्कूल मैं रही ताकि मैं सभी बच्चो के साथ घुलमिल जाऊं! जब एक बच्चे ने मुझे मारा था तो तुमने जाके उसके घरवालों से मेरे लिए झगडा किया!

माँ जब भी मुझे डर लगता था तो मैं तुम्हारे आँचल के पीछे चुप जाती थी, तब तुम्ही गोद मैं बैठाके मेरा डर भगाती थी! जब मेरे गणित मैं कम नंबर आने पर पापा ने मुझे डाटा था तो तुमने मेरा पक्ष लेकर उन्हें समझाया था! मुझे दिन-रात पढने मैं मदद की और मेरे बहुत अच्छे नंबर आये! माँ तुमने तो जादू कर दिया!

मुझे अब भी याद है माँ जब मेरी एक लड़के से दोस्ती को लेकर लोगो ने अफवाह उडाई थी तो सिर्फ तुमने ही मुझ पर विश्वास किया था! पापा को मेरी जल्दी शादी करने से रोकने के लिए तुमना कितना झगडा किया था!

तुम मेरी ढाल हो माँ! तुमना किसी की परवाह ना करते हुए मुझे पढने का और काम करने का मौका दिया! तुम मेरे लिए ईश्वर का वरदान हो माँ! तुम्हारे बिना तो मैं हो ही नहीं सकती थी!

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दिव्या गुप्ता जैन द्वारा प्रेषित